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यहाँ ओसीडी से जूझ रहे कुछ मरीजों की वास्तविक कहानियाँ हैं: 1. **वैशाली नगर के एक खेल-उपकरण की दुकान के सहायक प्रबंधक की कहानी**: इस व्यक्ति को इमारत को बंद करने की जिम्मेदारी निभाने में डर लगता था। उसे लगता था कि यदि वह अंतिम व्यक्ति होगा जो इमारत को बंद करेगा, तो 80% संभावना है कि कोई आपदा घटित हो जाएगी। इस डर के कारण वह दो घंटे तक लगातार जाँच करता रहता था। उसका यह डर गाड़ी चलाने में भी दिखता था, जहाँ वह रियरव्यू मिरर को बार-बार चेक करता था, डरते हुए कि कहीं उसने अनजाने में किसी पैदल यात्री को चोट न पहुँचा दी हो। 2. **टोंक रोड, जयपुर के एक अनुभवी प्लंबर की कहानी**: यह व्यक्ति हर काम को कई बार जाँचता था, क्योंकि उसे डर था कि अगर उसने कोई गलती की, तो पाइप फट सकते हैं या इमारत में बाढ़ आ सकती है। उसकी चिंता इतनी ज्यादा थी कि वह कभी-कभी उन घरों में वापस जाता था जहाँ उसने काम किया था, यह सुनिश्चित करने के लिए कि सब कुछ ठीक है। उसका यह अनियंत्रित डर भूकंप और हवाई दुर्घटनाओं जैसी घटनाओं तक फैल गया था। 3. **बानी पार्क, जयपुर की एक महिला की कहानी**: इस महिला ने गंदगी, खासकर मल के बारे में गहरी चिंता विकसित कर ली थी। वह हर बार बाहर से आने के बाद गहनता से खुद को धोती थी, भले ही उसने कोई गंदगी देखी न हो। अंततः उसने बाहर जाना बंद कर दिया और उसके जीवन का अधिकांश समय एक ही कमरे में बीतने लगा, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और बिगड़ गई। 4. **मालवीय नगर, जयपुर के एक व्यक्ति की कहानी**: इस व्यक्ति को दरवाजे, खिड़कियाँ और गैस के नल बंद करने के बारे में बार-बार जाँचने की आदत थी। वह कई बार इन चीजों की जाँच करता था, जिससे उसका काम करने का समय बहुत बढ़ जाता था। इन जाँचने की प्रवृत्तियों के कारण उसने अपनी नौकरी में बहुत देरी कर दी थी। 5. **झोटवाड़ा, जयपुर की एक महिला की कहानी**: इस महिला को कैंसर होने के डर से ग्रसित थी। उसे लगता था कि यदि वह किसी व्यक्ति या स्थान से संपर्क करेगी, जो कैंसर से जुड़ा है, तो उसे भी कैंसर हो जाएगा। इस डर के कारण वह घंटों तक अपने शरीर और कपड़ों को धोती और साफ करती थी। इस समस्या के कारण उसने अपना घर छोड़ना बंद कर दिया और घर के एक कमरे में ही सुरक्षित महसूस करती थी, जिसे वह हर दिन डिसइंफेक्ट करती थी। 6. **सिविल लाइन्स, जयपुर की एक गृहिणी की कहानी**: यह महिला किसी भी चीज़ को छूने में असमर्थ थी जो उसे गंदी लगती थी, खासकर टॉयलेट को। टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद वह कई बार अपने हाथ धोती थी और पब्लिक टॉयलेट्स का उपयोग करने से बचती थी। उसके इस रोग ने उसकी जिंदगी पर हावी हो गई, जिससे वह दूसरों से अलग हो गई और अपने घर के एक ही कमरे में रहने लगी। 7. **मंसरोवर के एक प्रसिद्ध व्यापारी की कहानी**: इस व्यापारी ने अपने जीवन में गंभीर संक्रमण के डर के कारण वस्तुओं को संभालने के लिए जटिल नियम विकसित कर लिए थे। उसके स्टाफ को सख्त निर्देशों का पालन करना पड़ता था, जैसे कि चम्मच का हैंडल देने से पहले उसे टिश्यू पेपर में लपेटना। 8. **एसएमएस अस्पताल, जयपुर में एक अनुभवी फार्मासिस्ट की कहानी**: इस फार्मासिस्ट को इस बात का डर था कि वह कोई घातक गलती कर देगा जो किसी की जान ले सकती है। वह हर पर्चे को कई बार चेक करता था और अपने सहयोगियों से आश्वासन मांगता था। उसकी चिंता सबसे ज्यादा तब होती थी जब उसे किसी काम की पूरी जिम्मेदारी दी जाती थी। 9. **मंसरोवर के एक छात्र की कहानी**: इस छात्र को एड्स से संक्रमित होने का अत्यधिक डर हो गया था, जब वह गलती से एक फेंके गए कंडोम के पास से गुजर गया था। इस डर ने उसे अपने कपड़े धोने और अपने जूते प्लास्टिक में लपेटने के लिए मजबूर कर दिया। उसका यह डर कई वस्तुओं और स्थानों तक फैल गया, जिससे उसके जीवन में काफी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो गईं। 10. **जेएनयू के एक छात्र की कहानी**: यह छात्रा एक एथलेटिक रनर थी और उसे इस बात का डर था कि वह दौड़ते समय किसी को चोट पहुँचा सकती है। यह डर उसे अपने रास्ते को फिर से दौड़ने के लिए मजबूर करता था, जिससे उसे यह सुनिश्चित हो सके कि उसने किसी को चोट नहीं पहुँचाई है। इस डर ने उसे बहुत परेशान कर दिया था। 11. **राजा पार्क, जयपुर की एक विवाहित महिला की कहानी**: इस महिला को पागल होने का डर सताने लगा था, जो उसके परिवार में मानसिक बीमारी के इतिहास से जुड़ा था। ये विचार उसे दिन में सैकड़ों बार आते थे, जिससे उसकी चिंता और अवसाद और बढ़ जाता था। 12. **धार्मिक ओसीडी और अपराधबोध के विचार**: मालवीय नगर के एक छात्र को ईसा मसीह और वर्जिन मैरी की बार-बार आने वाली यौन छवियों से गहरी परेशानी होती थी। इन विचारों ने उसे चर्च और धार्मिक छवियों से दूर कर दिया, और वह क्षमा की प्रार्थना करता था। 13. **वैशाली नगर, जयपुर के एक अकाउंटेंट की कहानी**: इस अकाउंटेंट को दूसरों द्वारा कही गई हर बात को चुपचाप दोहराने की आदत हो गई थी। इससे वह बातचीत में पिछड़ जाता था, क्योंकि वह शब्दों को दोहराने में इतना व्यस्त रहता था। 14. **सांगानेर, जयपुर में यौन और वैवाहिक समस्याएँ**: ओसीडी विवाह पर गंभीर तनाव डाल सकती है, खासकर जब यह शरीर के तरल पदार्थों से जुड़े प्रदूषण के डर पर आधारित हो। सांगानेर की एक महिला ने ओसीडी के कारण यौन संबंधों से पहले और बाद में अत्यधिक सफाई की माँग की, जिससे जटिल नियमों का पालन किया गया। इन नियमों ने अंततः यौन क्रियाओं में संलग्न होने में असमर्थता पैदा कर दी, जिससे उसके विवाह पर भारी दबाव पड़ा।